तेरी ख़ुश्बू का ~ परवीन शाकिर
तेरी ख़ुश्बू का पता करती हैमुझ पे एहसान हवा करती हैशब की तन्हाई में अब तो अक्सरगुफ़्तगू तुझ से रहा करती हैदिल को उस राह पे चलना ही नहींजो मुझे तुझ से जुदा करती हैज़िन्दगी मेरी थी लेकिन अब तोतेरे...
तेरी ख़ुश्बू का पता करती हैमुझ पे एहसान हवा करती हैशब की तन्हाई में अब तो अक्सरगुफ़्तगू तुझ से रहा करती हैदिल को उस राह पे चलना ही नहींजो मुझे तुझ से जुदा करती हैज़िन्दगी मेरी थी लेकिन अब तोतेरे...
કરાંચીમાં જન્મેલા શાયર પરવીન શાકિરનું માત્ર પાકિસ્તાનનાં ઇતિહાસમાં જ નહીં, પણ આધુનિક ઉર્દૂ સાહિત્યમાં મોખરાનું સ્થાન છે. પરવીન શાકિરનો સાહિત્ય-પ્રવેશ નિબંધલેખનથી થયો જે આગળ જતાં કવિતા અને કટારલેખન સુધી વિસ્તર્યો. શરૂઆતના ગાળામાં પરવીન શાકિર ‘બીના’ ઉપનામથી લખતાં. અહમદ નદીમ કાઝમી...
परवीन शाकिर : क़ैद में गुज़रेगी जो उम्र क़ैद में गुज़रेगी जो उम्र बड़े काम की थी पर मैं क्या करती कि ज़ंजीर तिरे नाम की थी जिस के माथे पे मिरे बख़्त का तारा चमका चाँद के डूबने की...
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