परवीन शाकिर ~ क़ैद में गुज़रेगी * અનુ. હિતેન આનંદપરા

परवीन शाकिर : क़ैद में गुज़रेगी जो उम्र क़ैद में गुज़रेगी जो उम्र बड़े काम की थी पर मैं क्या करती कि ज़ंजीर तिरे नाम की थी जिस के माथे पे मिरे बख़्त का तारा चमका चाँद के डूबने की...