अटलबिहारी वाजपायी ~ भरी दुपहरी में * Atalbihari Vajpaee

भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ ।

क्या सच है क्या शिव क्या सुंदर

शव का अर्चन शिव का वर्जन

कहुं विसंगति या रुपांतर

वैभव दूना अंतर सूना

कहुं प्रगति या प्रस्थालंतर

वैभव दूना अंतर सूना

आओ फिर से दिया जलाएँ ।

अटलबिहारी बाजपेयी

આપણા ભૂતપૂર્વ પ્રધાનમંત્રી અને દેશપ્રેમના જુસ્સાથી ભર્યા કવિ બાજપેઈજીનો જન્મદિવસ… એમનું બીજું કાવ્ય ‘આજ સિંધુ મેં જ્વાર ઉઠા હૈ’ એમના જ જુસ્સાભર્યા અવાજમાં માણો

25.12.20

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