Jacinta Kerketta * અનુ. પ્રતિષ્ઠા પંડ્યા * Pratishtha Pandya

હિન્દી કાવ્ય : Jacinta Kerketta

यह किसका नाम है?

मैं सोमवार को जन्मा

इसलिए सोमरा कहलाया

मैं मंगलवार को जन्मा

इसलिए मंगल, मंगर या मंगरा कहलाया

मैं बृहस्पतिवार को जन्मा

इसलिए बिरसा कहलाया

मैं दिन, तारीख़ की तरह

अपने समय के सीने पर खड़ा था

पर वे आए और उन्होंने मेरा नाम बदल दिया

वो दिन, तारीखें सब मिटा दी

जिससे मेरा होना तय होता था

अब मैं रमेश, नरेश और महेश हूं

अल्बर्ट, गिलबर्ट या अल्फ्रेड हूं

हर उस दुनिया के नाम मेरे पास हैं

जिसकी ज़मीन से मेरा कोई जुड़ाव नहीं

जिसका इतिहास मेरा इतिहास नहीं

मैं उनके इतिहास के भीतर

अपना इतिहास ढूंढ़ रहा हूं

और देख रहा हूं

दुनिया के हर कोने में, हर जगह

मेरी ही हत्या आम है

और हर हत्या का कोई न कोई सुंदर नाम है ।

Whose name is this?

I was born on Somwar, Monday,

so, I was called Somra.

I was born on Mangalwar, Tuesday,

so, I am Mangal, Mangar, or Mangara.

I was born on Bruhaspatiwar, Thursday,

that is why I was called Birsa.

I stood on the chest of time

like the days of the week,

but they came and they changed my name.

They destroyed those days and dates

that marked my being.

Now I am either Ramesh, Naresh, or Mahesh

or Albert, Gilbert, Alfred.

I have names from every one of those lands

whose soil hasn’t made me,

whose history is not my history.

I keep searching for my history

inside theirs and I realise

that each corner of this world,

in each place, I am the one being slaughtered

and each killing has a beautiful name.

Translated from Hindi by Pratishtha Pandya.

OP 17.10.22

*****

છબીલભાઈ ત્રિવેદી * 08-11-2022 * ખુબ સરસ અનુવાદ આભાર લતાબેન

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