ભવાનીપ્રસાદ મિશ્ર * સિયારામશરણ ગુપ્ત

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चलो गीत गाओ, चलो गीत गाओ
कि गागा के दुनिया को सर पर उठाओ

अभागों की टोली अगर गा उठेगी
तो दुनिया पे दहशत बड़ी छा उठेगी
सुराबेसुरा कुछ सोचेंगे गाओ
कि जैसा भी सुर पास में है चढ़ाओ

अगर गा पाए तो हल्ला करेंगे
इस हल्ले में मौत गई तो मरेंगे
कई बार मरने से जीना बुरा है
कि गुस्से को हर बार पीना बुरा है

बुरी ज़िन्दगी को अपनी बचाओ
कि इज़्ज़त के पैरों पे इसको चढ़ाओ

~ ભવાનીપ્રસાદ મિશ્ર (29.3. 1913 – 20.2.1985) 

(હિન્દી ભાષાના લોકપ્રિય કવિ)

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मैं तो वही खिलौना लूंगा मचल गया दीना का लाल
खेल रहा था जिसको लेकर राजकुमार उछाल-उछाल।
व्यथित हो उठी मां बेचारी- था सुवर्ण-निर्मित वह तो !
‘खेल इसी से लाल, नहीं है राजा के घर भी यह तो !

‘राजा के घर! नहीं-नहीं मां, तू मुझको बहकाती है,
इस मिट्टी से खेलेगा क्या राजपुत्र, तू ही कह तो ।
फेंक दिया मिट्टी में उसने, मिट्टी का गुड्डा तत्काल,
‘मैं तो वही खिलौना लूंगा – मचल गया दीना का लाल ।

‘मैं तो वही खिलौना लूंगा – मचल गया शिशु राजकुमार,
‘वह बालक पुचकार रहा था पथ में जिसको बारम्बार ।
‘वह तो मिट्टी का ही होगा, खेलो तुम तो सोने से ।
दौड पडे सब दास-दासियां राजपुत्र के रोने से ।

‘मिट्टी का हो या सोने का, इनमें वैसा एक नहीं,
खेल रहा था उछल-उछलकर वह तो उसी खिलौने से ।
राजहठी ने फेंक दिए सब अपने रजत-हेम-उपहार,
‘लूंगा वहीं, वही लूंगा मैं! मचल गया वह राजकुमार ।

~ સિયારામશરણ ગુપ્ત (4.9.1895 – 29.3.1963)

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