साहिर लुघियानवी ~ चलो इक बार फिर से  

चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों

मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं दिलनवाज़ी की
तुम मेरी तरफ़ देखो ग़लतअंदाज़ नज़रों से
मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों में
ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज़ नज़रों से

तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशक़दमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं
मिरे हमराह भी रुसवाईयां हैं मेरे माज़ी की
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साए हैं

तआरुफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर
तअल्लुक़ बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसें अंजाम तक लाना हो मुमकिन
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा

चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों

~ साहिर लुघियानवी (1921 – 25.10.1980)

5 thoughts on “साहिर लुघियानवी ~ चलो इक बार फिर से  ”

  1. સુરેશ ચંદ્ર રાવલ

    સાહિર સાહેબ એક અતિ ઉમદા ગીતકાર તરીકે ફિલ્મી દુનિયામાં છવાઈ ગયા હતાં અને જ્યારે રવિ, મહેન્દ્ર કપૂર અને સાહિર સાહેબની ત્રિબંધી હોય ત્યારે તે ગીત ઉત્તમ બની જતું. ફિલ્મી ગીતો માટે ઉર્દૂ ભાષા એક અનિવાર્ય માધ્યમ હતું…! આજ પણ આવા ગીત નિરાંતની પળમાં શાતા આપી જાય છે…! લતાબેન ખૂબ ખૂબ આભાર. !

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