मिर्ज़ा ग़ालिब ~ हर एक बात पे & मेहरबाँ हो के * Ghalib
www.kavyavishva.com
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकलेबहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उसकी गरदन परवो ख़ूँ जो चश्म ए तर से उम्र भर यूँ दमबदम निकले निकलना ख़ुल्द से...
मेहरबां होके बुला लो मुझे : मिर्ज़ा ग़ालिब मेहरबां होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्तमैं गया वक़्त नहीं हूँ के फिर आ भी न सकूँ। ज़ोफ़ में तान:-ए-अग़यार का शिकवा क्या हैबात कुछ सर तो नहीं है कि उठा भी न...
પ્રતિભાવો